Discussion in "Chill out!" started by    Ûž TPS Ûž    Aug 7, 2008.
Thu Aug 07 2008, 01:04 am
#1
टीवी पर बोरिंग प्रोग्राम चल रहा है, शरीर में आलस भरा है और रिमोट तकरीबन 10 फीट दूर है। ऐसे में दिमाग में एक ही ख्याल कौंधता है कि काश! हम टीवी को गुस्से में आंखें दिखाते और चैनल चेंज हो जाता। साइंस ऐसी ही तमाम फंतासियों को सच करने में जुटा है।

अमेरिका के एक कंप्यूटर साइंस एक्सपर्ट ने अपने चेहरे को रिमोट कंट्रोल में बदलने में कामयाबी हासिल की है। फिलहाल इससे विडियो की स्पीड स्लो और फास्ट किया जाना संभव है। यह तकनीक भविष्य में रोबॉट को, चेहरे के भाव पढ़ना और समझना सिखाने के प्रोसेस का एक हिस्सा है।

जैकब वाइटहिल नाम के यह एक्सपर्ट कंप्यूटर साइंस में पीएचडी कर रहे हैं। उन्होंने एक ऐसे, साइज में छोटे डिटेक्टर को बनाने में कामयाबी हासिल की है, जो उनके चेहरे को रिमोट कंट्रोल में तब्दील कर सकता है। यह डिवाइस कंप्यूटर को भी साधारण किस्म के कमांड भेज सकता है।

साइंटिस्ट की टीम ने चेहरे के भावों को पढ़ने की टेकनीक डिवेलप करने के लिए एक सेट अप बनाया। इसके बाद विडियो टेप के जरिए दिखाए जाने वाले एक लेक्चर की स्पीड में बदलाव किए गए। इस तरीके से देखने वाला जैसे चाहे वैसे ही विडियो की स्पीड घटा बढ़ा सकता है।

इस सेट अप को वाइट हिल ने एक विडियो के जरिए दिखाया। उनका कहना है कि मान लीजिए मैं स्टूडेंट होता और मेरा टीचर कोई रोबॉट। मैं थ्योरी पढ़-पढ़ कर थक चुका हूं, लेकिन फिर भी रोबॉट मुझे नई चीजें बताता रहता है। ऐसा बताना किसी काम का नहीं है। लेकिन अगर रोबॉट मेरे चेहरे की तरफ देखे, रुके और कहे अरे लगता है तुम थक गए। क्या तुम्हें रेस्ट की जरूरत है? मैं कहूं जी हां निश्तित तौर पर, रुकने के लिए शुक्रिया।

फिल्मी-सा लगता यह संवाद तकनीक को इंसान की सुविधाओं के लायक बनाने की कवायद का एक हिस्सा है। बदलते दौर में रोबॉट जैसी मशीनों के जिम्मे ज्यादा से ज्यादा काम आने वाला है। ऐसे में तकनीक जुटी है इन मशीनों को भावनाएं समझने और उसी के हिसाब से एक्ट करने लायक बनाने में।

वाइट हिल ने एक बयान जारी कर टेस्ट प्रॉसेस के बारे में बताया। कठिन लेक्चर को सुनने के दौरान लोगों के चेहरे पर अलग-अलग एक्सप्रेशन आते थे। मशीन इन सबको रेकॉर्ड करती रहती है। जब लेक्चर आसान होता है तो सब्जेक्ट यानी लेक्चर सुनने वाले की आखें ज्यादा मिचमिचाती हैं, जबकि कठिन लेक्चर के दौरान ऐसा कम होता है। ऐसी ही तमाम खूबियों की स्टडी कर टेकनीक डिवेलप की जा रही है।
Thu Aug 07 2008, 11:19 pm
#2
किसी भी जगह बम होने की सूचना मिलती है तो अब मौके पर बम निरोधक दस्ते को भेजने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि रोबोट ही उसे निष्क्रिय कर देगा। रोबोट स्वयं ही बम को तलाश करेगा और निष्क्रिय कर देगा। यदि बम अतिव्यस्त इलाके में होता है तो रोबोट ही उसे बम ट्रेलर के माध्यम से सुनसान जगह ले जाकर निष्क्रिय कर देगा। जयपुर में बिड़ला ऑडिटोरियम में पुलिस की ओर से लगाई गई तीन दिवसीय सुरक्षा प्रदर्शनी में इस तरह का रोबोट प्रदर्शित किया गया है।

इस तरह काम करता है यह रोबोट

रोबोट को करीब डेढ़ किलोमीटर दूर से रिमोट की ओर से संचालित किया जा सकता है। रोबोट में माइक्रो कैमरे होते हैं जो आसपास की स्थिति को डेढ़ किलोमीटर दूर ऑपरेट कर रहे व्यक्ति को स्क्रीन के माध्यम से बताते रहते हैं। रोबोट में विशेष प्रकार के बम सर्च उपकरण लगे हुए हैं जो बम को आसानी से तलाश कर लेते हैं। बम मिलने की स्थिति में रोबोट ऑपरेट कर रहे व्यक्ति को संदेश भेजता है और निर्देश मिलने के बाद उसे निष्क्रिय करने का काम शुरू कर देता है।

पहली बार आया है राजस्थान में:

रोबोट को रिमोटली ऑपरेटर विकल रोबोट नाम दिया गया है। इसे चंडीगढ़ की कंपनी सिक्योरिटी डिफेंस सिस्टम ने बनाया है। इसकी कीमत करीब 70 लाख रुपए हैं । कंपनी के अरुण गुप्ता ने बताया कि इस रोबोट को पहली बार राजस्थान में लाया गया है तथा देश भर में एक मात्र यह रोबोट है जो बम को ढूंढ कर उसे निष्क्रिय कर सकता है। अब तक ऐसे छोटे रोबोट विदेश से मंगवाए जाते थे।

आतंकियों को भी निशाने पर ले सकता है यह रोबोट:

यह रोबोट राइफल चला सकता है तथा छोटा गोला दाग सकता है। इसके लिए रोबोट के ऊपर राइफल लगाने की व्यवस्था भी की गई है। किसी भवन में आतंकियों ेके घुसे होने पर रोबोट को अंदर भेज कर ुउन्हें गन के निशाने पर लिया जा सकता है। यह रोबोट बिना किसी अवरोधक के सीढ़ियां चढ़ने में सक्षम है। बिड़ला ऑडिटोरियम में रोबोट के सीढ़ियां चढ़ने का प्रदर्शन भी किया गया।

यहां क्या होगा

1. राजस्थान पुलिस बम को निष्क्रिय करने वाला रोबोट खरीदने की तैयारी कर रही है।
2. फिलहाल मुंबई पुलिस के पास दो रोबोट है। नया रोबोट हाल ही में मुंबई पुलिस ने खरीदा है। पुराने रोबोट को लेकर कई परेशानियां सामने आ चुकी है। नए रोबोट की क्या स्थिति है। इस संबंध में मुंबई पुलिस से बात करके नया रोबोट लिया जाएगा।
3. नए रोबोट की कीमत ज्यादा है। फिर भी इसे खरीदा जाएगा। लेकिन इससे पहले कुछ तथ्यों की जांच होगी।
4. वर्तमान में बम निरोधक दस्ते में करीब सोलह अधिकारी एवं कर्मचारी है। डॉग स्कॉवायड है।
5.बम निरोधक दस्ते पर सालाना करीब चालीस लाख रुपए खर्च होते है। नए रोबोट की कीमत करीब 70 लाख रुपए है।
Thu Aug 07 2008, 11:25 pm
#3
i have watched that on discovery.
i am sure the new robots will be imported from other country.
why this happens when so much talented people are there in india who build them at very low cost ?

good info though, thanks.

Get Social

Information

Powered by e107 Forum System

Downloads

Comments

TimmyJup
Wed May 08 2024, 12:22 am
Shawnarows
Tue May 07 2024, 10:16 pm
GlennVet
Tue May 07 2024, 04:46 pm
RonaldJoump
Tue May 07 2024, 10:15 am
Jasonkam
Mon May 06 2024, 10:00 pm
JamesroW
Mon May 06 2024, 09:37 am
Chrispes
Mon May 06 2024, 07:34 am
ArktiTic
Sun May 05 2024, 07:06 pm